क्या आप आजकल सुबह जब जागते है तो क्या आपको चिड़ियों की चहचहाट सुनाई देती हैं ? या प्रकृति की ठंडी हवा या नरम और तरोताज़ा धुप की किरणे आप चहरे से नहीं टकराती हैं? या क्या फिर मौसम आपको सुहाना नहीं लगता ? जी हाँ हम बात कर रहे हैं इन दिनों लिए प्रकृति के करवट की, चाहे समुद्र या नदी का किनारा हो या चाहे जंगल मैं पेड़ो पर बैठे पक्षियों का चहचहाना या किसी जानवर का खुल कर जीना या किसी भी समुर्दी जिव का खुलकर जीना, यहाँ तक अपने आप को विलुप्त समझते पशु या पक्षी हो, तो ये सब क्या नहीं दर्शता की प्रकृति अपने रूप को एक स्वस्थ स्वरूप मैं देखना चाहती हैं। भारत सहित पूरा विश्व कोरोना के चपेट मै है, क्या ये कोई प्रकृति की चाल हैं ? पूरा विश्व लॉक डाउन की स्तिथि मैं हैं, इंसान अपनी जान के लिए बेहद फिक्रमंद हैं और अपने घरो मै कैद हैं ना कोई वाहन ना कोई पर्यटन, पुरे विश्व मैं ना कही आवाजाही, तो आपको कही ऐसा तो नहीं लगता की इंसानो ने प्रकृति को दबा कर रखा और उसका गलत फायदा उठाया। कोरोना वायरस फैलने के पीछे वजह चाहे जो भी हो, विश्व भर मैं लॉक डाउन होने से प्रकृति अपने पुराने रूप मै आ रही हैं। कोरोना जैसी महामारी के भारी संकट के इस दौर मैं विश्व के सारे स्वास्थ संगठन साथ मै हैं और मिलकर मिलकर इस महामारी का इलाज ढूंढने मैं लगे हैं, इस बिच प्रकृति के इस नए रूप ने सभी को चौका दिया हैं।
वायुमंडल मैं ओज़ोन परत जो पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती हैं उसमे तक सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं जी हाँ, दूषित वायुमंडल होने के कारन जो ओज़ोन परत नष्ट हुई थी अब वो ठीक होती नज़र आ रही हैं, इसी तरह से स्वस्थ वायुमंडल होने से उससे सम्बंधित दूसरी जगहों पर बदलाव देखने को मिल रहा हैं। इन सब चीज़ो को देखकर तो यही लगता हैं की प्रकृति का शायद ये इशारा हैं की आप मेरा ध्यान रखो मै आपका रखता हूँ। और इसे हम चेतावनी समझे या प्रकृति का आग्रह ये हमारे पर निर्भर करता हैं, क्योकि परिणाम अब हमें पता हैं, तो दोस्तों कृपया अपनी प्रकृति का आप वैसे ही ख्याल रखे जैसा आप अपना रखते हैं क्योकि हम से प्रकृति नहीं, हम प्रकृति से हैं।
Wow!I mean to said that the nature will be given true massage to the whole world.
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