Wednesday, April 29, 2020

क्या कोरोना वैक्सीन आ गयी ? 1000 रूपये होगी कीमत


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(PHOTO COURTESY - SERUM INSTITUTE)

पूरा विश्व कोरोना वायरस की महामारी से त्रस्त हैं और इस भयानक महामारी का इलाज ढूंढने मैं  लगी है।  वही WHO के अनुसार भारत अपनी गंभीर रणनीति से और देशो की अपेक्षा काफी बेहतर स्तिथि मैं हैं। इस कड़ी मैं पुणे मै सीरम इंस्टिट्यूट भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए टिका तैयार कर रहा है। सीरम इंस्टिट्यूट के CEO अदर पूनावाला का कहना हैं की अगर ट्रायल सफल रहा तो कोरोना वायरस का ये टिका इसी साल सितंबर या अक्टूबर में आ जायेगा जिसके कीमत 1000 रूपये होगी। आदर पूनावाला के अनुसार इसके एडवांस ट्रायल के पहले इसके उत्पादन पर खास ध्यान दिया जायेगा और इसकी अति आवश्यकता को देखते हुए पहले ही उत्पादन शुरू कर देंगे, ऐसा इसलिए ताकि ये वैक्सीन पर्याप्त मात्रा मैं उपलब्ध कराई जा सके और मई मैं इसका ह्यूमन टेस्ट भी कर लेंगे। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया खुराक के उत्पादन और बेचने की संख्या के हिसाब से दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। और ये पहले से कई प्रकार के टिके जैसे पोलियो, फ्लू, डीटीपी, आर-पेटाइटिस बी, रुबेला, मम्प्स, टिटनस, चेचक जैसी बीमारियों के वैक्सीन बनाती हैं और विश्व 170 देशो मैं इसे एक्सपोर्ट किया जाता हैं। 




(PHOTO COURTESY - SERUM INSTITUTE)

पूनावाला के अनुसार इस वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल ब्रिटेन मैं शुरू कर दिया गया हैं।  लेकिन हमने उत्पादन मैं पहल कर दी हैं। इसके साथ ही पेरिस और ऑस्ट्रिया की फर्म के साथ मिलकर भी इस दिशा में काम कर रही है। अब ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने टीके के उत्पादन के लिए साझेदारी की है।  साथ ही साथ सीरम इंस्टिट्यूट covid - 19 के प्रयोगो के लिए और भी प्रयोगशालाओं का निर्माण भी करेंगे। सीरम इंस्टिट्यूट ने भारत के बहार भी कदम जमा लिए है और कई कंपनी का अधिग्रहण कर चुके हैं।  गौरतलब हैं कोरोना वायरस भारत और पुरे विश्व मैं कही थमने का नाम नहीं ले रहा हैं।  ऐसे मैं इसका टिका लाना बहोत ज़रूरी हो गया हैं। इसलिए इसका ट्रायल सफल हुआ तो जल्दी ही सब जगह ये वैक्सीन उपलब्ध होगी।  


  





Saturday, April 25, 2020

क्या मिल गया कोरोना का इलाज ? क्या हैं प्लाज़्मा थेरेपी ?




पूरी दुनिया मैं  कोरोना वायरस फैला हैं , इसी बिच एक अच्छी खबर आती दिख रही हैं। पूरी दुनिया कोरोना का इलाज ढूंढने मैं लगी हैं और सभी देशो ने पूरी ताकत लगा दी हैं,  और पुरे विश्व के डॉक्टर कोरोना वायरस के इलाज़ के लिए तमाम तरह के रीसर्च और एक्सपेरिमेंट्स कर रहे हैं, इसी कड़ी मैं प्लाज़्मा थैरेपी को कोरोना वायरस के तोड़ के रूप मैं देखा जा रहा हैं, जी हाँ चीन और अमेरिका के बाद अब भारत भी इस कड़ी मैं जुड़ गया है, जहाँ प्लाज़्मा थैरेपी के सही नतीजे आते दिखे रहे हैं, और प्लाज़्मा थैरेपी के उत्साह वर्धक नतीजे देखने को मिल रहे हैं इस बात की जानकारी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और उनके साथ डॉ एस के सरीन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दी।  दिल्ली सरकार ने पिछले दिनों दिल्ली मै 4 मरीजों को प्लाज़्मा ट्रीटमेंट दिया गया ऐसा उन्होंने केंद्र सरकार की मंजूरी पर किया।




 इलाज के सारे मरीजों के नतीजे अच्छे दिख रहे हैं।  डॉ  सरीन और सीएम केजरीवाल ने बताया की उनमे से 2  मरीज कुछ ही दिन मैं जल्दी ही डिस्चार्ज हो जायेंगे। क्या हैं प्लाज़्मा थैरेपी ? एंटीबॉडी का इस्तेमाल इस थैरेपी  में किया जाता है, इसलिए इसे प्लाज्मा थैरेपी के अलावा एंटीबॉडी थैरेपी भी कहा जाता है। किसी खास वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ था। जब वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है। जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है, उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है।




ऐसे में जो मरीज अभी अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है, वही एंटबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर इसका असर होता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। प्लाज़्मा थैरेपी कोरोना वायरस से ठीक करने का पूर्ण विकल्प नहीं है पर चूँकि इसका परिणाम कोरोना वायरस की फर्स्ट और सेकंड स्टेज को पूर्ण रूप से ठीक होने मैं पॉजिटिव हैं इसलिए अरविन्द केजरीवाल सरकार ने कोरोना वायरस से ठीक हुए लोगो से अपील भी की है की वो सामने आकर अपने प्लाज़्मा सैंपल देकर देश भक्ति दिखाए, और दुसरो मरीजों को स्वस्थ होने के लिए मदद करे ताकि केंद्र सरकार की मंज़ूरी पर इससे और टेस्ट किये जा सकेंगे।  अब देखने वाली बात है की ये प्लाज़्मा थैरेपी जिससे अब इतनी उम्मीदे हैं इस बुरे दौर मैं कारगर निकले। 


Thursday, April 23, 2020

क्या कोरोना वायरस प्रकृति की चेतावनी हैं ?

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क्या आप आजकल सुबह जब जागते है तो क्या आपको चिड़ियों  की चहचहाट सुनाई देती हैं ? या प्रकृति की ठंडी हवा या नरम और तरोताज़ा धुप की किरणे आप चहरे से नहीं टकराती हैं? या क्या फिर मौसम आपको सुहाना नहीं लगता ? जी हाँ हम बात कर रहे हैं इन दिनों लिए प्रकृति के करवट की, चाहे समुद्र या नदी का किनारा हो या चाहे जंगल मैं पेड़ो पर बैठे पक्षियों का चहचहाना या किसी जानवर का खुल कर जीना या किसी भी समुर्दी जिव का खुलकर जीना, यहाँ तक अपने आप को विलुप्त समझते पशु या पक्षी हो, तो ये सब क्या नहीं दर्शता की प्रकृति अपने रूप को एक स्वस्थ स्वरूप मैं  देखना चाहती हैं। भारत सहित पूरा विश्व कोरोना के चपेट मै है, क्या ये कोई प्रकृति की चाल हैं ? पूरा विश्व लॉक डाउन की स्तिथि मैं हैं, इंसान अपनी जान के लिए बेहद फिक्रमंद हैं और अपने घरो मै कैद हैं ना कोई वाहन ना कोई पर्यटन, पुरे विश्व मैं ना कही आवाजाही, तो आपको कही ऐसा तो नहीं लगता की इंसानो ने प्रकृति को दबा कर रखा और उसका गलत फायदा उठाया।  कोरोना वायरस फैलने के पीछे वजह चाहे जो भी हो, विश्व भर मैं लॉक डाउन होने से प्रकृति अपने पुराने रूप मै  आ रही हैं। कोरोना जैसी महामारी के भारी संकट के इस दौर मैं विश्व के सारे स्वास्थ संगठन साथ मै हैं और मिलकर मिलकर इस महामारी का इलाज ढूंढने मैं लगे हैं, इस बिच प्रकृति के इस नए रूप ने सभी को चौका दिया हैं।  



वायुमंडल मैं ओज़ोन परत जो पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करती हैं उसमे तक सकारात्मक बदलाव दिख रहे हैं जी हाँ, दूषित वायुमंडल होने के कारन जो ओज़ोन परत नष्ट हुई थी अब वो ठीक होती नज़र आ रही हैं, इसी तरह से स्वस्थ वायुमंडल होने से उससे सम्बंधित दूसरी जगहों पर बदलाव देखने को मिल रहा हैं। इन सब चीज़ो को देखकर तो यही लगता हैं  की प्रकृति का शायद ये इशारा हैं की आप मेरा ध्यान रखो मै आपका रखता हूँ। और इसे हम  चेतावनी समझे या प्रकृति का आग्रह ये हमारे पर निर्भर करता हैं, क्योकि परिणाम अब हमें पता हैं, तो दोस्तों कृपया अपनी प्रकृति का आप वैसे ही ख्याल रखे जैसा आप अपना रखते हैं क्योकि हम से प्रकृति नहीं, हम प्रकृति से हैं।   

Wednesday, April 22, 2020

क्या चीन नहीं अमेरिका है कोरोना का ज़िम्मेदार ? कोरोना वायरस फ़ैलने की मिली असली वजह.

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पूरा विश्व कोरोना की मार से अपने आप को बचाने मै लगा हुआ हैं, और कोरोना पूरी ताकत से आक्रामक हैं।  चीन से फैला ये खतरनाक वायरस पुरे विश्व पर अपना कब्ज़ा करता जा रहा है जिसका असर चीन से सारे विश्व के आर्थिक सम्बन्धो का ख़राब होते दिख रहा है। जापान, अमेरिका और विश्व के दूसरे देशो ने चीन से अपने आर्थिक संबन्धों को धीरे धीरे ख़तम करने का फैसला तक कर लिया हैं। पर इस बात मैं कितनी सच्चाई है कि चीन ही इसका पूर्णरूप से ज़िम्मेदार है, कही इसमें अमेरिका भी बराबर का हिस्सेदार तो नहीं ? जी हाँ अमेरिकन मीडिया के अनुसार चीन के वुहान लैब से फैले कोरोना वायरस ने जो आतंक पुरे विश्व मैं मचाया है उसमे सिर्फ चीन ही  ज़िम्मेदार नहीं अमेरिका भी हो सकता है ! कोरोना वायरस फ़ैलाने के षड़यंत्र की बहोत सी बातें  सामने आ रही हैं, वही एक और बात सामने आयी है जिसमे चीन मैं फैले इस कोरोना वायरस मैं अमेरिका भी हिस्सेदार होने की बात भी सामने आयी हैं। 



 ये बात उस वक़्त की जब तत्कालीन अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबमा के शासन मैं  उस वक़्त के अमेरिका के 'नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शन डिसीसेस' मतलब ( NIAID ) के डायरेक्टर डॉक्टर अन्थोनी फाउची की अध्यक्षता मै चीन को 2015 से 3.7  मिलियन डॉलर फण्ड दिया है , ये फण्ड चीन को वुहान की लैब को दिया गया, ताकि वो चमगादड़ों पर रिसर्च कर सके और ये फंडिंग ट्रम्प के समय मै भी चालू हैं। पहले अमेरिका इस रिसर्च को अपने यहां करना चाहता था पर सुरक्षा कारणों से उसने चीन को फंडिंग की। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ जो की अमेरिका की एक सरकारी संस्था हैं जिसके ज़रिये चीन की वुहान लैब को फंडिंग की जा रही है और वुहान लैब मैं जिसका नाम  सीधा सीधा पार्टनर मैं लिखा हैं हालाँकि ट्रम्प सरकार ने इतना कुछ होने पर ये फंडिंग पर रोक लगा दी हैं। एक अमेरिकी न्यूज़ चैनल के मुताबिक डॉ अन्थोनी ने ये बात 2014 मैं ही बता दी थी और इस रिसर्च के लिए बजट पास करवाया था।  और 2017 मैं डॉ अन्थोनी फाउची ने  ये बात  बता दी थी की एक घातक महामारी का  वायरस आ सकता हैं।  तो अब सवाल ये उठता है की इस महामारी का डॉ फाउची ने 2017  मैं कैसे बता दिया ? 



अमेरिका,चीन को ये फंडिंग सार्स और दूसरे वायरस पर रिसर्च करने को दिया करता था ताकि वो चमगादड़ो की सभी प्रजातियों पर खोज कर पाए। पर सवाल ये है की इतना सबकुछ पता होने पर भी अमेरिका ने ये सारी जानकारियां छुपाई क्यों ? अमेरिका मैं चुनाव भी नज़दीक हैं इसलिए ये सवाल अमेरिकी संसद मैं उठ रहे है और अमेरिकी सरकार बचाव के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एलर्जी एंड इन्फेक्शन डिसीसेस के डायरेक्टर डॉ अन्थोनी फाउची को आगे कर रही हैं।  पर हैरानी की बात तो ये है की डॉ फाउची अभी भी ये बात मानाने को तैयार नहीं हैं। पर शक सुई उन पर ही गहराती जा रही हैं। पर चीन मैं जिस चमगादड़ की प्रजाति से ये वायरस फैलने का दावा किया जा रहा हैं और जिसकी वजह से चीन की वुहान लैब पूरी दुनिया के शक के घेरे मैं है वो असल मैं चीन मैं पाया ही नहीं जाता 2 चीनी साइंटिस्ट के मुताबिक अगर कोई हैं भी  तो वो चीन के वुहान से लगभग 900 किलोमीटर दूर हैं तो वो सीफुड मार्केट तक कैसे पहोचा ? और ना ही वहा के स्थानीय लोगो का कोई भी चमगादड़ पसंदीदा भोजन नहीं हैं ये रिपोर्ट गलत हैं की वुहान सीफुड मार्केट मै  चमगादड़ बिकता हैं। तो इस वायरस से  होने वाले इतने बड़े नुकसान का ज़िम्मेदार आखिर कौन हो सकता हैं ? और इसलिए शायद डॉ फाउची पर शक जताया जा रहा हैं , अमेरिका ने साफ बोल दिया हैं की जो भी इसके लिए ज़िम्मेदार पाया जायेगा उसे इसके बहोत गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।  पर जिन डॉ फाउची को शक के घेरे मैं खड़ा किया जा रहा है असल मैं वो अमेरिकी  कोरोना वायरस टास्क फाॅर्स के प्रमुख भी हैं। इसलिए अब अमेरिका खुद ही अपने सवालो के घेरे मैं हैं।  

Tuesday, April 21, 2020

कोरोना वायरस का नया रूप - साइलेंट कोरोना


                 
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जैसा की आपको पता है की कोरोना वायरस ने पुरे विश्व को अपने घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया है, विश्व के शक्तिशाली देश भी अपने आप को असहाय महसूस कर रहे है, विश्व मै सभी देश इस महामारी का इलाज ढूंढने मैं लगे है, जहा एक तरफ पूरा विश्व इसके इलाज के ना हो होने के चलते लॉक डाउन की स्तिथि मैं है।  वही डॉक्टर्स और वैज्ञानिको के अनुसार कोरोना वायरस अपना पैटर्न या यूं कहे की अपना रंग बदल रहा है, जिसके बाद जो कोरोना के सिम्पटम जैसे सर्दी, खासी, झुकाम, गले मैं दर्द होना, बुखार होना इत्यादि  ये सब तो था ही, पर अब बदले हुए कोरोना के मुताबिक इसका ये रूप और घातक हो गया है क्योकि अब कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर  पता तक नहीं चलता है कि, वो इंसान कोरोना पॉजिटिव है, स्वास्थ मंत्रालय की माने तो कोरोना के बदले हुए रंग मैं कोरोना के कोई लक्षण नहीं मिलते है, मतलब ना सुखी खासी ना बुखार ना सर्दी और ना ही ज़ुखाम, मतलब अब कोरोना के कोई भी सिम्पटम ना होने पर लोग कोरोना पॉजिटिव निकल रहें है जिसे असिम्पटोमैटिक कोरोना कहा जा रहा हैं। तत्काल आने वाले कोरोना पॉजिटिव केसेस मे ज्यादातर लोग इसी साइलेंट कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए,  जिसमे किसी भी तरह के कोई सिम्पटम नहीं थे। इस सिम्पटोमैटिक कोरोना ने भारत सरकार और पुरे विश्व को परेशानी मैं डाल दिया है, मतलब सिम्पटोमैटिक कोरोना पॉजिटिव तो पता लग जाते थे, पर कोरोना का ये नया काल सभी के लिए चुनौती पूर्ण हैं।  ख़ैर स्वास्थ मंत्रालय के अनुसार सोशल डिस्टैन्सिंग ही इसका एकमात्र इलाज बताया जा रहा है, इसलिए जितना हो सके अपने घरो मैं रहे और सुरक्षित रहे। इसी के चलते पुरे विश्व की उम्मीद की निगाहें भारत पर है क्योकि ख़राब से ख़राब परिस्थितियों मै भी भारत ही एक ऐसा देश कहा हैं जो उससे उबरने की क्षमता रखता हैं, इतिहास  इस बात का गवाह है। 

Monday, April 20, 2020

क्या ग्रंथो में है कोरोना का इलाज ? नारद पुराण और वेदो के दावे




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पूरी दुनिया मे कोरोना वायरस अपने पैर तेजी से फैला रहा है ।  जहा एक तरफ देश और विदेश के सारे डॉक्टर और खोजकर्त्ता इसका इलाज ढूंढने के लिए अपनी ताकत झोक रहे है, वही दूसरी तरफ ऐसा दावा किया जा रहा की, वेदो और पुराणों में कोरोना वायरस का पहले ही बता दिया गया था। जी हां आज से दस  हजार साल पहले नारद पुराण मै  इस महामारी के बारे मै बताया गया था, उसके साथ साथ ये भी बताया गया था की ये महामारी  कब शुरू होगी और कौन सी दिशा से आएगी। नारद संहिता सहित ये जानकारी कई पुराणों मै दर्ज है। इसके मुताबिक धरती से किसी पूर्वी देश से आने का दावा है जिधर चीन हैं और 2019 के आखरी महीने और आखिरी सूर्यग्रहण से इस बीमारी के शुरू होने के बारे मै भी कहा गया हैं, और इसका असर 2 से 7 महीने तक रहेगा उसके बाद ये शांत हो जायेगा मतलब ग्रंथो के अनुसार कोरोना वायरस जुलाई 2020 से अगस्त 2020 रहेगा।  हमारे वेदो मै इसे महारोग कहा गया है, साथ ही साथ इन ग्रंथो मै मानव और प्रकृति से सम्बन्धित बहोत सी बाते कही गयी हैं।  जिसमे महारोग और मानव के नकारात्मक बदलाव के सभी कारन प्रकृति के विनाश को बताया गया हैं। पुराणों के अनुसार कलयुग आने पर पाप इतना बढ़ जायेगा की पृथ्वी का संतुलन ख़राब हो जायेगा और इंसान, इंसान का दुश्मन हो जायेगा और दुसरो के साथ क्या अपनों के साथ दुरव्यवहार करने लगेगा। प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करेगा जिसके कारन अनाज की कमी आने लगेगी। अधर्म और पाप लगातार बढ़ता जायेगा। जो आप भलीभांति देख सकते हैं, और प्रकृति इसकी स्वयं आपूर्ति कर रही हैं।  पुरे विश्व मैं तमाम देशो ने इस महामारी के  चलते लॉक डाउन  लागू किया हुआ हैं, क्योकि इसके अलावा इनके पास और कोई रास्ता नहीं हैं, जिससे सोशल डिस्टैन्सिंग बन पाए और छुआ छूत से फैलने वाली ये बीमारी की रोकथाम  हो सके और खास कर जब तक कोई इलाज न हो।  तो दोस्तों कृपया प्रकृति का ख्याल रखे और कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा  बनाये गए नियमो का पालन करते रहे।     

धार्मिक स्थलों पर योगी का शिकंजा

  पिछले दिनों MNS के अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा ये ऐलान किया गया की मस्जिदों में लाउड स्पीकर्स को हटा लिया जाये नहीं तो MNS कार्यकर्त्ता मस्जि...