Thursday, April 7, 2022

कैसे आयी श्रीलंका में 'EMERGENCY'


 बेहद महँगाई से भुखमरी के कगार पर आ गया श्रीलंका, लोग सड़को पर आ चुके है,  आखिर क्या कारन है? श्रीलंका के इतने बड़े आर्थिक संकट का जिसके वजह से वह पर आपातकाल जैसी स्तिथि आ गयी, इन दिनों हमारे 2 पडोसी देश इस कदर महँगाई और भुखमरी की मार झेल रहे है, कि उन देशो की जनता सड़को पर आ चुकी है  जिसमे एक है पाकिस्तान और दूसरा है श्रीलंका हैं, आज बात करेंगे श्रीलंका के बारे में, ये जानेगे की आखिर इतने सालो से शांति से रह रहे भारत के पडोशी देश श्रीलंका में क्यों त्राहिमाम मचा हुआ है, दोस्तों कंगाल हुए श्रीलंका में महँगाई के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए है यहाँ तक की वहा की आम जनता खाने पिने सामान खरीदने में असमर्थ है, सब्जी, राशन पैट्रॉल डिसल ४ गुना महंगा हो गया है, आलम तो ये है की बिजली सिर्फ ४ घंटे आ रही है, वह के लोग देश छोड़ना चाहते है पर पैसे न होने के वजह वो भी नहीं छोड़ पा रहे है, सत्ता के सभी लोगो ने इस्तीफा दे दिया है, और तो और सरकार में बची हुई सरकारो ने रोड लाइट्स तक बंद कर दी है ताकि थोड़ी जो बिजली लोगो तक पहोच रही है वो पहोच जाये, ऐसे ही हालत रही तो साल के अंत तक श्रीलंका दिवालिया घोसित हो जायेगा, वह के रुपये में इतनी गिरावट आ चुकी है की डॉलर के मुकाबले वहा की करेंसी पहले एक डॉलर में 200 श्रीलंका के रुपये के बराबर होती थी वो अब बढ़ कर कर 300 हो गया है , अब आते है इसके पीछे के कारन पर की श्रीलंका की हालत ऐसे कैसे हु। फरवरी के महीने में श्रीलंका के फॉरेन करेंसी रिज़र्व्स 2.3 बिलियन डॉलर्स थे, जो जनवरी 2020 तक 70% निचे गिर  चुके है,  किसी भी देश के पास फॉरेन करेंसी रिज़र्व्स नहीं होते तो वो किसी भी प्रकार का इम्पोर्ट नहीं कर सकते है, श्रीलंका के करंट सिचुएशन के हिसाब से वो सिर्फ एक महीने के ही गुड्स इम्पोर्ट कर सकते है, इसके अलावा 4 बिलियन का क़र्ज़ है श्रीलंका के ऊपर, एक इंडियन रुपया लगभग 4 श्रीलंकन रुपये के बराबर होता है, अब सबसे बड़ा सवाल ये है इतनी बड़ी इकनोमिक क्राइसेस श्रीलंका में आयी क्यों क्या कारन है इसके पीछे का जानते है.


श्रीलंका में 2018 तक टूरिज्म अपने पुरे चरम पर था, मतलब श्रीलंका की 12 -13 % जीडीपी टूरिस्म पर निर्भर थी, पर लगातार आतंकवाद झेल रहे श्रीलंका में 2020 से दम तोड़ता नज़र आया, साथ ही कोरोना वायरस के चलते विश्वभर में जो असर हुआ उससे पर्यटन पूरा बंद हो गया, एक के बाद एक थपेड़े झेल रहा श्रीलंका इसे रोकने में नाकामयाब रहा, दूसरा कारन है की 2019 में इलेक्शन जीत कर आये प्रेजिडेंट Gotabaya राजपक्सा ने अपने मेनिफेस्टो के वादे के अनुसार कंस्यूमर टैक्सेज कम कर दिए, पर lockdown होने के कारन उसका भी खामियाज़ा उन्हें भुगतना पड़ा और वो फ़ैल हो गए,  इसके अलावा साल 2017 में श्रीलंका का टोटल क़र्ज़ 64 बिलियन डॉलर्स था. 90 से 95% सरकार की कमाई क़र्ज़ चुकाने में चली जाती थी. २०२० में श्रीलंका साकार ने इम्पोर्ट पर बेन लगा दिया उस वक़्त तक उनका क़र्ज़ ५१ बिलियन डॉलर था.

अच्छा इसमें चीन ऐसी कंट्री है जिसने श्रीलंका के ऊपर डेट ट्रैपिंग (debt trapping) करना शुरू किया था, और काफी हद तक वो सफल रहा है. डेट ट्रैप मीन्स पहले क़र्ज़ देते रहो फिर अगर कोई देश क़र्ज़ नहीं लौटा पाए तो उसे अपने जाल में फसा लो और फिर धीरे धीरे उस देश पर कब्ज़ा कर लो, और तो और क़र्ज़ तले दबे श्रीलंका ने अपने कुछ पोर्ट्स चीन के हवाले कर दिए जिसके लिए श्रीलंका क़र्ज़ नहीं चूका पाया, जिसके लिए चीन ने उस पर कब्ज़ा कर लिया, चीन की यही तरीका पाकिस्तान पर लागू करके चल रहे है. इतना सब देखने के बाद भी शायद पाकिस्तान नहीं समझ पायेगा की ये एक तरह का ट्रैप है, और यही बात शायद नेपाल को भी समझ आ चूका है, पिछले दिनों आपने सुना होगा नेपाल भारत के खिलाफ और चीन के फेवर में बोलने लगा था, पर वक़्त रहते है शायद उन्हें समझ में आ रहा है और आगे भी आजाये तो अच्छा है उन्हें चीन के जाल में नहीं फसना तो। भारत का यहाँ रोल नेपाल और श्रीलंका के लिए बराबर रहा, इसलिए शायद पिछले दिनों नेपाल के प्रधानम्नत्री Sher Bahadur देउबा भारत के साथ वापस अच्छे सम्बन्ध बनाने में लगा है. उनका प्रधानमंत्री मोदी से मिलना पिछले दिनों भारत और  नेपाल के बिच १८ सालो बाद वापस ट्रैन का शुरू करना. वही दूसरी तरफ भारत अपने पडोसी देश का धर्म सही तरीके से निभाया है और श्रीलंका को लगातार मदद पहोचा रहे है पिछले दिनों भारत ने अनाज के साथ साथ पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद के लिए 50 करोड़ डॉलर की कर्ज मदद. श्रीलंका को आर्थिक संकट से उबारने के लिए की है और हाल ही में एक अरब डॉलर की कर्ज की सहायता की घोषणा भी की थी. ‘कर्ज मदद के तहत यह चौथी खेप है. साथ ही पिछले 50 दिनों में भारतीय कुओं से श्रीलंका के लोगों तक 2 लाख टन ईंधन की आपूर्ति भी की गई. भारत नेपाल की भी इस तरह की मदद लगातार करता रहता है पर अफ़सोस पाकिस्तान जो अपने बुरे दौर से गुजर रहा है जिसे चीन पहले से ही जाल में फसा चूका है उसकी मदद कौन करेगा ये वक़्त ही बताएगा आपका क्या कहना है हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर बताये.                                                                                                                                            

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