जैसे की आपको सभी को पता है कि इंडिया चीन बॉर्डर पर तनाव लगातार जारी हैं। आपस में कई बैठकों के बाद भी बाद भी स्तिथि जस की तस बनी हुई हैं। क्या हैं ये गलवान घाटी ? जिसके लिए चीन धोखाधड़ी पर उतर आया हैं। तो हम आपको बताते हैं की असल मैं चीन को क्या प्रॉब्लम है। ये बात असल में जबकि की है जब 1993 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पी वी नरसिम्हा राव चीन के दौरे पर गए थे और इसी दौरान उन्होंने चीनी प्रधानमंत्री ली पेंग के साथ एलएसी पर शांति रखने के लिए समझौते पर साइन किए। 1993 के समझौते में साफ कहा गया है कि यदि दोनों पक्षों के सैनिक एलएसी को पार करते हैं तो दूसरी ओर से आगाह किए जाने के बाद वह तुरंत अपने क्षेत्र में चले जाएंगे। हालांकि चीन ने गलवान और पैंगॉन्ग लेक में ठीक इसका उलट किया और अपने सैनिक तैनात कर दिए। फिर से 1996 मे इस समझौते को भारत के प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा के द्वारा आगे बढ़ाया गया। इसके अनुसार अगर किसी मतभेद की वजह से दोनों तरफ के सैनिक आमने-सामने आते हैं तो वह संयम रखेंगे। विवाद को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाएंगे। हालांकि, चीन ने विवाद वाली जगहों पर पहले दिन से अपना संयम खोया। कई वीडियो में चीनी सैनिक अक्रामक रवैया दिखाते नजर आए हैं। समझौते के तहत एलएसी पर दोनों पक्ष न तो सेना का इस्तेमाल करेंगे और न ही इसकी धमकी देंगे।
इसके बाद अब नरेंद्र मोदी 2014 में पीएम बनने के बाद 5 बार चीन दौरे पर जा चुके हैं। मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से 18 बार मुलाकात हो चुकी है। इनमें वन-टू-वन मीटिंग के साथ ही दूसरे देशों में दोनों नेताओं में हुई मुलाकातें भी शामिल हैं। तो अब झड़प किस लिए असल मे चीन एक ऐसा देश है जिस पर अब पूरी दुनिया विश्वास नहीं करती खास कर कोरोना के चीन से पूरी दुनिया मैं फ़ैलाने के बाद। असल में चीन को पूरा विश्व से बायोकोट करने और और इंडिया को एक बिज़नेस हब बनाने से चीन को ज्यादा जलन है। और पिछले ६ सालो से इंडिया चीन बॉर्डर भारतीय सरकारों ने काफी सजगता दिखाई है वो चाहे सड़क बनाना हो या कोई और काम हो। इसलिए पिछले २ महीने मैं झूट और धोकेबाजी करके चीन ने भारतीय हिस्से मैं अपनी चौकिया बनाना शुरू किया। जिस पर बात करने गए भारतीयों सैनिको पर हमला करके 20 सैनिको को शहीद कर दिया। पर इंडिया की सेना वो है जिसका लोहा पूरा विश्व मनाता हैं। ये बात चीन को भी पता हैं जो सेना अपना बॉर्डर की रक्षा के लिए अपने 20 जवानो की आहुति दे सकती हैं उस सेना की सोच क्या होगी।। ऊपर से पुरे विश्व का दबाव चीन पर।और भारतीयों को अपनी बात तो मनवाना आता ही है। क्योकि इंडियन आर्मी जब तक तोड़ेंगे नहीं तब तक छोड़ेंगे नहीं। भारत किसी भी तरह अपनी मातृभूमि को नहीं छोड़ेगा, ये इतिहास गवाह हैं।